Seminar : ” जैव विविधता” विषय पर दो दिवसीय सेमिनार का हुआ संपन्न ।

" जैव विविधता" विषय पर दो दिवसीय सेमिनार का हुआ संपन्न ।

राजकीय महाविद्यालय तलवाड़ी के लालबहादुर शास्त्री सभागार में “पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य के लिए जैव सक्रिय यौगिकों की आपूर्ति के रूप में पौधों की “जैव विविधता” विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के द्वितीय दिवस बतौर मुख्य अतिथि उप महानिरीक्षक अनिल कुमार शर्मा सीमा सुरक्षा बल ग्वालदम ने मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन में पेड़ पौधों के जीवन के अस्तित्व अस्तित्व को और पर्यावरण को सुंदर बनाते हैं पेड़ों के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है पेड़ हानिकारक गैस अवशोषितकरते है बल्कि पर्यावरण से कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाई ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस को अवशोषित करते हैं |

अन्य प्रकरण से प्रदूषण भी पेड़ों द्वारा अवशोषित होते हैं यह प्रक्रिया हवा को शुद्ध करती है और वातावरण को साफ रखती है जिस कारण अधिक से अधिक पेड़ लगाकर वातावरण में बढ़ते प्रदूषण को काम किया जा सकता है |

इस मोके पर प्राचार्य,डॉ.योगेंद्र चंद्र सिंह, डॉ.प्रतिभा आर्य, डॉ ललित जोशी, डॉ नीतू पांडे ने अतिथियों का स्वागत किया |

वही वैज्ञानिक प्रोफेसर डा.सी.पी.कुनियाल (हर्बल रिसर्च एंड डेवलपमेंट इन्स्टीट्यूट मण्डल गोपेश्वर) ने अपने संबोधन ने कहा अगर मानव जीवन बचाना है, तो पर्यावरण का संरक्षण करना अति आवश्यक है,अधिक से अधिक पौध रोपण कर अपनी तथा आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित करना होगा, ताकि हमें स्वच्छ हवा -पानी उपलब्ध हो सके |

वहीं कार्यक्रम में “मैंती आंदोलन” के जनक पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने कहा आज जिस प्रकार तेजी से ग्लेशियर पिघलते जा रहे हैं, हमें ग्लेशियरों को बचाना होगा |

आए दिन ग्लेशियर ग्लोबल वार्मिंग के चलते पीछे की और जा रहे हैं, साथ ही बुग्यालों को बचाना होगा अगर समय रहते बुग्यालों का संरक्षण नहीं किया गया तो प्राकृतिक आपदाओं से बचना मुश्किल होगा,जो एक संकट का विषय है |

जंगलों में लगने वाली आग तथा अधिक मात्रा में पेड़ पौधों के कटान के कारण गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है, अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर जंगलों में लगने वाली आग पर अंकुश लगाया जा सकता हैं तभी हम अपने पर्यावरण को बचा पाएंगे ।

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए जंगलों में लगने वाली आग पर नियंत्रण करना जरूरी हैं, आग के कारण गर्मी बढ़ने से हमारे ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं,अगर इसी प्रकार पिघलते रहे तो आने वाले समय में जल संकट के लिए जूझना पड़ेगा, इसलिए हमें जंगलों को आग से बचाने के साथ-साथ अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर बरसात में जल का संग्रहण करना होगा।

इस अवसर पर महाविद्यालय तलवाड़ी के प्राचार्य योगेन्द्र चन्द्र सिंह , डॉ अनुज कुमार, सुनील कुमार,मोहित उप्रेती,,डॉ निशा ढोडियाल,डॉ पुष्पा रानी,डॉ सुधा राणा,डॉ जमशेद अंसारी,डॉ सुनीता भंडारी, डॉ संतोष पंत, डा. शंकर राम, डॉ सुनील कुमार आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ ललित जोशी ने किया।

Subhash Pimoli थराली

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