केजरीवाल का सरेंडर: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 21 दिन की अंतरिम जमानत खत्म होने पर तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया। उन्हें छोड़ने के लिए दिल्ली सरकार के मंत्री, विधायक और नेता आए थे, लेकिन जेल के अंदर केवल दो कारों को ही जाने की इजाजत मिली। इन कारों में अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल और उनके बेटे और बेटी थे। बाकी लोगों को जेल के बाहर ही रुकना पड़ा।
Surrender से पहले का पल:
जब केजरीवाल जेल के अंदर जाने के लिए तैयार हो रहे थे, उनकी पत्नी सुनीता और बच्चे उनके साथ थे। इस भावुक पल में सुनीता और बच्चों ने उन्हें हिम्मत देने के लिए कहा, “हम तुम्हारे साथ हैं, मजबूत रहो और सच्चाई की लड़ाई लड़ते रहो।” ये शब्द केजरीवाल के लिए एक प्रेरणा बने, जिससे उन्हें आत्मविश्वास और हिम्मत मिली।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल को 10 मई को अंतरिम जमानत दी थी, ताकि वे चुनाव प्रचार में हिस्सा ले सकें। अदालत ने उन्हें 2 जून को सरेंडर करने का आदेश दिया था। केजरीवाल इस अवधि को सात दिन और बढ़ाना चाहते थे, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली।
पार्टी कार्यालय में संबोधन:
जेल जाने से पहले केजरीवाल ने पार्टी कार्यालय में कहा, “आम आदमी पार्टी जरूरी नहीं, देश जरूरी है। आपका बेटा दोबारा जेल जा रहा है। मैंने तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की है। मोदी जी ने भी माना कि केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल अनुभवी चोर है। मान लिया कि मैं अनुभवी चोर हूं। आपने बिना किसी सबूत के मुझे जेल में डाल दिया। आपने भारी बहुमत वाली सरकार को जेल में डाल दिया। यही तो तानाशाही है। जिसका मन होगा ये जेल में डाल देंगे। इसी तानाशाही के खिलाफ लड़ रहा हूं।
केजरीवाल का यह संबोधन दर्शाता है कि वे न केवल अपने परिवार बल्कि अपने समर्थकों के बीच भी एक मजबूत समर्थन महसूस करते हैं। तिहाड़ जेल में उनका सरेंडर एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिससे वे तानाशाही के खिलाफ अपनी लड़ाई को जारी रख रहे हैं।