Bihar Election Result 2024: कोई जाति सीटों को हिला ना पाया इन सीटों पर हुई जीत l 

Bihar Election Result 2024: कोई जाति सीटों को हिला ना पाया इन सीटों पर हुई जीत l

Bihar Election Result 2024 : बिहार में राजनीति केवल संभावनाओं का खेल नहीं है, बल्कि यह समीकरणों का भी खेल है। जातीय समीकरणों के आधार पर कई राजनीतिक किले मजबूत हुए थे, लेकिन इस बार इनमें से तीन किलों में सेंध लग गई है। परिसीमन के बाद हुए तीन चुनावों में पिछड़ा वर्ग और सवर्णों के आधिपत्य वाले 19 किले थे, जिनकी संख्या अब घटकर 16 रह गई है।

बदलते समीकरण: औरंगाबाद और आरा

औरंगाबाद और आरा में पिछले चुनावों तक राजपूत समाज को लगातार विजय मिलती रही थी। इस बार, इन दोनों क्षेत्रों से पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के सांसद चुने गए हैं। वहीं, वैश्य समाज को प्राथमिकता देने वाले शिवहर ने इस बार राजपूत समाज से अपना प्रतिनिधि चुना है।

औरंगाबाद के सामाजिक समीकरण में 2009 के चुनाव से ही परिवर्तन हो गया था, जिसका कारण परिसीमन था। परिसीमन ने बिहार के लगभग सभी 40 संसदीय क्षेत्रों के भूगोल और समीकरण में थोड़ा-बहुत बदलाव किया। इसके बावजूद, राजपूत समाज ने 2009 से 2019 तक संपन्न हुए तीन चुनावों में औरंगाबाद पर कब्जा बनाए रखा। इस बार राजद के अभय कुशवाहा ने इस किले को फतह कर लिया है, जबकि भाजपा के सुशील कुमार सिंह अपनी लगातार चौथी जीत से चूक गए। आरा में भी भाजपा के आरके सिंह हैट-ट्रिक से चूक गए और भाकपा (माले) के सुदामा प्रसाद ने जीत हासिल की।

शिवहर और महाराजगंज: चितौड़गढ़ के उपनाम

औरंगाबाद के बाद शिवहर और महाराजगंज को क्रमशः बिहार का दूसरा और तीसरा चितौड़गढ़ कहा जाता है। महाराजगंज अपने उपनाम को कायम रखे हुए है, लेकिन शिवहर के मिजाज में परिसीमन के बाद से बदलाव आ गया। पिछले तीन चुनावों में वैश्य समाज की रमा देवी विजयी रहीं, लेकिन इस बार भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। यह सीट जदयू के खाते में गई और लवली आनंद ने राजद की रितु जायसवाल को हराया।

जातीय समीकरण का प्रभाव

जातीय समीकरणों को साधने के उद्देश्य से जाति आधारित गणना की गई थी, जिसका प्रभाव इस चुनाव में देखने को मिला। प्रत्याशियों के चयन में यह एक बड़ा पैमाना रहा और काफी हद तक इसका लाभ भी मिला है। हालांकि, इस बार के चुनाव में हार-जीत के कई अन्य कारण भी रहे, लेकिन यह स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति में जाति का प्रभाव बना हुआ है। सेंधमारी के तमाम प्रयासों के बावजूद यदि जातीय आधिपत्य वाले 16 किले इस बार भी मजबूत रहे, तो यह साबित करता है कि वहां जातिगत वोटों की पहरेदारी पुख्ता रही है।

Read More : Nitish Kumar: तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को दिया सीधा अल्टीमेटम: बिहार बनेगा किंग मेकर, जानें उनकी 3 धांसू डिमांड्स!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com