पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में महिला प्रशिक्षु डॉक्टर की एक सरकारी अस्पताल में हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों और छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के बीच मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई।
कोर्ट में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट द्वारा मामले की जांच CBI से कराने के निर्देश दिए हैं । साथ ही मामले से जुड़े सभी कागजात और दस्तावेज तत्काल केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंपने के कोर्ट ने निर्देश भी दिए हैं। जिसके बाद मामले की अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद की जायेगी ।
मामले को लेकर कई जनहित याचिकायें दायर की गई थी, जिसे देखते हुए मुख्य न्यायाधीश ने सख्त टिप्पणी की थी और कोर्ट ने प्रोफेसर (डॉ.) संदीप घोष प्रिंसिपल को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्रिंसिपल पद से छुट्टी पर भेज दिया था।
आपको बतादें कि प्रोफेसर (डॉ.) संदीप घोष जो कि प्रिंसिपल पद आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के कार्यरत थे ने प्रिंसिपल पद से कल इस्तीफा दे दिया था | जिसके कुछ समय बाद ही संदीप घोष को कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में नियुक्त कर दिया गया था।
अदालत ने कहा कि जब किसी ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया है तो फिर उसकी किसी और सरकारी कॉलेज में नियुक्ति कैसे की जा सकती है।
साथ ही कोर्ट ने मंगलवार को संदीप घोष को दोपहर 3 बजे से पहले छुट्टी का आवेदन जमा करने को कहा था तथा मामले की केस डायरी दोपहर 1 बजे अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद पीठ के निर्देश पर प्रदेश सरकार ने 1 बजे केस डायरी पेश की। जिसके बाद मामले की सुनवाई अदालत ने दोपहर 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
क्या संदीप घोष का बयान दर्ज किया था ?
मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवागनानम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिकाओं की सुनवाई करते हुए पूछा कि मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप घोष का क्या बयान दर्ज किया गया था, जिस पर राज्य सरकार के वकील ने जवाब ना में दिया।
हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि यदि प्रिंसिपल ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया था, तो किसी अन्य सरकारी कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में उन्हें कैसे नियुक्त किया जा सकता है। जिसके साथ ही कोर्ट ने आज दोपहर 3 बजे तक छुट्टी का आवेदन जमा करने का आदेश दिया था और कहा कि यदि वह आदेश का पालन नहीं करते हैं, तो अदालत द्वारा उन्हें पद छोड़ने का आदेश देगी।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूछा कि यहां एक महिला डॉक्टर से कथित दुष्कर्म और हत्या के मामले में हत्या का मामला क्यों दर्ज नहीं किया गया और अप्राकृतिक मौत का मामला शुरू क्यों नहीं किया गया।
इस पर सरकारी वकील ने बताया कि अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया था, लेकिन हत्या की तत्काल कोई शिकायत नहीं की गई थी ।
जिस पर मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि प्रशिक्षु का शव सड़क किनारे नहीं मिला था, इसके लिए अस्पताल के अधीक्षक या प्रिंसिपल शिकायत दर्ज करा सकते थे।
प्रशिक्षु के माता-पिता ने मामले में अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। कई अन्य जनहित याचिकाएं भी दायर की गई थीं, जिनमें इसकी सीबीआई जांच की मांग की गई थी।