Colorectal Cancer : बदलती जीवनशैली और खानपान की आदतें बढ़ा रही है, कम उम्र में कोलोरेक्टल कैंसर की समस्या : डॉ० अमित सहरावत

बदलाव प्रकृति का नियम है और इंसानी जिंदगी और यह विकास के लिए जरूरी भी है, मगर कुछ बदलाव ऐसे भी हैं, जो या तो कुछ मजबूरियों के कारण हमारे जीवन में घुसपैठ करके आ गए या फिर हमने आधुनिक जीवनशैली के नाम पर उन्हें अपना लिया। ऐसा ही बदलाव हमारे खानपान संबंधी आदतों में हुआ है, जो ऊपरी तौर पर तो गंभीर मामला नहीं लगता।

Rishikesh Uttam Singh

मगर वर्तमान समय के ही कुछ उदाहरण उठा कर देखें या अपने ही जीवन पर गौर करें तो समझ आ जाएगा कि खानपान संबंधी रोजमर्रा की हल्की-फुल्की आदतों ने कई तरह की गंभीर बीमारियों को हमारे जीवन में जगह दी है। यह कहना है एम्स ऋषिकेश के कैंसर रोग विशेषज्ञ एवं सह-आचार्य डॉ० अमित सहरावत का। पेश है ,उनके साथ साक्षात्कार के प्रमुख अंश ।

प्रश्न 1: डॉ. सहरावत, बदलती जीवनशैली और खानपान की आदतों ने कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में वृद्धि की है। आप इस पर क्या कहेंगे?

उत्तर: बदलती जीवनशैली और खानपान की आदतें निश्चित रूप से कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में वृद्धि का कारण बनी हैं। फास्टफूड, रेडमीट और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का बढ़ता सेवन इस वृद्धि का मुख्य कारण है। साथ ही, शारीरिक गतिविधियों की कमी और बढ़ता मोटापा भी इस समस्या को बढ़ावा दे रहे हैं। इन आदतों से आंतों में सूजन और पॉलिप्स का निर्माण हो सकता है, जो बाद में कैंसर का रूप ले लेते हैं।

Colorectal Cancer
एम्स ऋषिकेश के कैंसर रोग विशेषज्ञ एवं सह-आचार्य डॉ० अमित सहरावत

प्रश्न 2: डॉ० सहरावत, भारत में किशोर और युवा वयस्कों में कोलोरेक्टल कैंसर के बढ़ते मामलों के बारे में आपका क्या कहना है?

उत्तर: धन्यवाद। हां, यह एक गंभीर और बढ़ती चुनौती है। पहले, कोलोरेक्टल कैंसर को आमतौर पर वृद्ध लोगों की बीमारी माना जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में हम देख रहे हैं कि अधिक से अधिक किशोर और युवा वयस्क भी इससे प्रभावित हो रहे हैं।

प्रश्न 3: कोलोरेक्टल कैंसर के प्रारंभिक लक्षण क्या होते हैं और लोग इन्हें कैसे पहचान सकते हैं?

उत्तर: कोलोरेक्टल कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों में मल त्याग की आदतों में बदलाव, जैसे कि कब्ज या दस्त, मल में खून, पेट में दर्द, सूजन, वजन में अचानक कमी, और थकान शामिल हैं। प्रारंभिक लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए। नियमित स्क्रीनिंग टेस्ट भी बेहद महत्वपूर्ण है, विशेषकर उन लोगों के लिए जिनके परिवार में कैंसर का इतिहास है।

प्रश्न 4: कोलोरेक्टल कैंसर के निदान के लिए कौन-कौन से परीक्षण किए जाते हैं?

उत्तर: कोलोरेक्टल कैंसर के निदान के लिए मल परीक्षण, कोलोनोस्कोपी, सीटी स्कैन, और रक्त परीक्षण शामिल हैं। कोलोनोस्कोपी सबसे प्रमुख और प्रभावी परीक्षण है जिसमें आंतरिक परत को देखा जाता है और पॉलिप्स को कैंसर बनने से पहले हटा दिया जाता है। यह परीक्षण कैंसर की संभावना को कम करने में सहायक होता है।

प्रश्न 5: कोलोरेक्टल कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है?

उत्तर: कोलोरेक्टल कैंसर का इलाज उसकी स्टेज, मरीज की समग्र स्वास्थ्य स्थिति और उम्र पर निर्भर करता है। इलाज में कीमोथेरेपी, और आवश्यकता पड़ने पर विकिरण चिकित्सा का सहारा लिया जाता है। प्रारंभिक स्टेज में स्क्रीनिंग और इलाज के जरिए कैंसर को नियंत्रित किया जा सकता है। चौथी स्टेज में कीमोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न 6: कोलोरेक्टल कैंसर से बचाव के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

उत्तर: कोलोरेक्टल कैंसर से बचाव के लिए स्वस्थ खानपान की आदतें अपनाना बेहद महत्वपूर्ण है। रेडमीट और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए। इसके साथ ही, नियमित व्यायाम, अधिक फल-सब्जियों का सेवन और नियमित स्क्रीनिंग टेस्ट कराने से बचाव संभव है। जिनके परिवार में कोलोरेक्टल कैंसर का इतिहास है, उन्हें विशेष ध्यान देना चाहिए और नियमित जांच करवानी चाहिए।

प्रश्न 7: जागरूकता कार्यक्रमों का क्या महत्व है और इसमें आपकी सलाह क्या होगी?

उत्तर: जागरूकता कार्यक्रम कोलोरेक्टल कैंसर के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। “जागरूकता ही निदान का प्रथम सोपान है,” इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, देश-प्रदेश स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन आवश्यक है। लोगों को कैंसर के लक्षण, निदान, और बचाव के तरीकों के बारे में शिक्षित करना बेहद जरूरी है। इससे समय पर निदान और उपचार संभव हो सकेगा, जिससे मृत्यु दर को कम किया जा सकेगा।

प्रश्न 8: आप इस क्षेत्र में और किन शोधों की आवश्यकता महसूस करते हैं?

उत्तर: इस क्षेत्र में और अधिक शोध और नवाचार की आवश्यकता है, विशेषकर चौथी स्टेज के कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज में सुधार के लिए। नए इलाज के तरीकों और इम्यूनोथेरेपी जैसी तकनीकों में प्रगति से मरीजों को दीर्घकालिक राहत प्रदान की जा सकती है। इसके अलावा, कैंसर की रोकथाम और शुरुआती निदान पर भी अधिक ध्यान देना चाहिए।

प्रश्न 9: आपके अनुसार, भारत में कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में वृद्धि को कैसे रोका जा सकता है?

उत्तर: भारत में कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में वृद्धि को रोकने के लिए लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना होगा। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और समय-समय पर चिकित्सीय जांच कराने से इस बीमारी की रोकथाम संभव है। साथ ही, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता को बेहतर बनाना भी आवश्यक है ताकि लोग समय पर सही उपचार प्राप्त कर सकें।

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