इस वर्ष उत्तराखण्ड मे सभी जनपद मे वन अग्नि के कारण लाखो की वन सम्पदा का नुकसान हुआ है, जिसमे विभिन्न प्रकार की पेड़ , पौधे, औषधीय पौधे, वन्य प्राणियों की छति हुई है | पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्जीवित करने हेतु हंस फाउंडेशन द्वारा उत्तराखंड के चार जनपदों, पौड़ी, टेहरी, अल्मोड़ा एवं बागेश्वर के दस विकाशखंडो में वन अग्नि शमन एवं रोकथाम परियोजना के अंतर्गत इस वर्ष एक लाख पचीस हज़ार पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा है।
जिसके अंतर्गत बांज, पांगर, उतीश, कचनार, आवला, हेड़ा, बहेड़ा एवं तेजपात जैसे बहमूल्य पौधों का रोपण किया जायेगा। चारापत्ती ,एवं औषधीय पौधों के रोपण से जहा ग्रामीणों को चारा मिलेगा वही भविष्य में आजीविका संवर्धन हेतु विभिन औषधीय पादपों से अलग अलग प्रकार की उत्त्पाद प्राप्त होंगे।
संजय बजवाल ब्लॉक समन्वयक ब्लॉक जयहरीखाल ने जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष टेहरी जनपद में कुल २८५००, पौड़ी में ३५०००, अल्मोड़ा में २४००० एवं बागेश्वर जनपद में २५००० पौध रोपण का लक्ष्य प्रस्तावित है। इस हेतु वर्तमान में गड्डा खुदान का कार्य ग्रामीणों द्वारा किया गया है। पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ ग्रामीणों को रोजगार भी उपलब्ध हो रहा है।
पौधरोपण के पश्चात इसके देख रेख की जिम्मेदारी भी ग्रामीणों के साथ बैठक करके तय की गयी है। जिसमे ग्राम स्तर पर चयनित स्वैच्छिक अग्नि वीरो के द्वारा सभी ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है। जिसमे ग्राम प्रधान, वन पंचायत सरपंच, फायर फाइटरो और अन्य लोगो को भी इस अभियान उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु उनका सहयोग लिया जा रहा है।
इसके अन्तर्गत ब्लॉक जयहरीखाल मे 16 हजार चारा और औषधीय पौध रोपण हेतु इस वर्ष ग्राम बंदूण, वड्डा, कोटा तल्ला, थलदा, गवांना बडेथ, गेडगाँव, पुंडेरगाव, कीमार, कांडाखाल लमराडा, पलीगॉव, खुण्डोली, देवडाली, और तिलसिया को चयनित कर गड्डे खुदाई का कार्य किया जा रहा है |
जागरूकता अभियान, स्वैच्छिक अग्नि वीर ग्रामीणों को वन अग्नि से बचाव के तरीकों के बारे में जागरूक कर रहे हैं। इस जागरूकता अभियान में स्थानीय प्रशासन, वन विभाग, और विभिन्न सामुदायिक संगठनों का सहयोग भी लिया जा रहा है। इससे ग्रामीणों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और वे इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेंगे।
इस प्रकार, हंस फाउंडेशन की यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार और उनकी आजीविका संवर्धन में भी सहायक है।