राजकीय महाविद्यालय देहरादून शहर में गढ़भोज का आयोजन प्राचार्य प्रोफेसर एमoपीo नगवाल की अध्यक्षता में किया गया । इसमें महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बढ़ चढ़ कर प्रतिभाग किया ।
इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। निबंध व कविता प्रतियोगिता का विषय सस्कृति और प्रकृति का संरक्षण, उत्तराखंड के पारंपरिक फसलों का महत्व, प्रतियोगियों को दिया गया । कविता लेखन में कु.गीता बी ए. प्रथम सेमेस्टर,एवं कु. दृष्टी बी. एस. सी. प्रथम सेमेस्टर ने प्रतिभाग किया ।
निबन्ध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान शिवम राणा बी. एस. सी प्रथम सेमेस्टर, द्वितीय स्थान दिवांशी बी. एस. सी.प्रथम सेमेस्टर, तृतीय स्थान कु.पारुल बी. एस.सी .प्रथम एवं पोस्टर प्रतियोगिता में उत्तराखंड की पारंपरिक फसलों का उत्सव विषय का आयोजन किया गया। जिसमें प्रथम स्थान कु . आशा रावत बी . एस.सी प्रथम सेमेस्टर, द्वितीय स्थान कु. तरुणा रावत बी. कॉम. प्रथम सेमेस्टर, तृतीय कु. मुस्कान बी. ए. पंचम सेमेस्टर ने प्राप्त किया।
उक्त प्रतियोगिताओं के निर्णायक में डॉo डी o एस o मेहरा, डॉo ऊषा नेगी , डॉo मुक्ता डंगवाल, डॉo हेमलता खाती, डॉo नीतू बलूनी द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं द्वारा पारंपरिक फसलों की प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें उत्तराखंड की मुख्य अनाज बाजरा ,लोबिया ,तिल, सोयाबीन ,भंगजीरा, कालीदाल ,झंगोरा, चौलाई के लड्डू ,अरबी ,पहाड़ी ककड़ी, मुंगरी ,सोयाबीन , भांग आदि पौष्टिक अनाजों की प्रदर्शनी लगाई गई।
छात्र छात्राओं ने मिलेटस (मोटा अनाज) इनसे मिलने वाले पौष्टिक तत्वों और इनका महत्व बताया। इन सभी कार्यक्रमों के संचालन में डॉ प्रतिभा बलूनी, डॉ माधुरी कोहली, डॉ पंकज बहुगुणा ने छात्र छात्राओं को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया ।
तत्पश्चात महाविद्यालय में गढ़वाली पारम्परिक व्यंजनों को परोसा गया जिसमें रोटना ,आरसा, गुलगुले , चूड़ा खाजा, झंगोरे की खीर, भांग की चटनी, पहाड़ी ककड़ी का रायता, पुडी, आलू के गुटके ,राजमा ,चावल हरा नमक, मंडुवे की रोटी आदि व्यंजनों का छात्र छात्राओं व उपस्थिति प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों ने गढ़भोज का लुफ्त उठाया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापकों में प्रोफेसर गिरीश सेठी ,डॉक्टर डीपी पांडे , डॉक्टर राकेश नौटियाल, डॉ मनोज सिंह बिष्ट, डॉ मंजू भंडारी, डॉक्टर पायल अरोड़ा, डॉ मनोज, महावीर सिंह रावत, विनीता, अर्चना, पंकज आदि उपस्थित रहे ।