हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता, यहां के कण-कण में भगवान का वास है। उत्तराखंड को ऋषियों की तपस्थली भी कहा जाता है। यही कारण है कि तमाम वेदों और पुराणों में उत्तराखंड का वर्णन अपने-अपने अनुसार किया गया है। आज हम आपको उत्तराखंड के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर टंगी घंटियां और चिट्ठियों की संख्या बताती है कि इस मंदिर में लोगों की कितनी आस्था है।
गोल्ज्यू देवता को लेकर मान्यता है कि वे न्याय के देवता हैं। मंदिर में लगी असंख्य चिट्ठियां और घंटियां यह बयाँ करती है कि कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने वाले लोग हो या कोई भी मुराद हो, ये देवता सबकी मनौतियां पूरी करते हैं। देवता का यह मंदिर अल्मोड़ा जिले में स्थित है, जिसे चितई गोलू देवता के नाम से जाना जाता है।
गोल्ज्यू देवता की महत्ता केवल आस्था और विश्वास तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे न्याय के प्रतीक भी हैं। कहा जाता है कि गोल्ज्यू देवता अपने भक्तों की शिकायतों को सुनते हैं और उन्हें न्याय दिलाते हैं। उत्तराखंड में अनेक स्थानों पर स्थित गोल्ज्यू के मंदिर में भक्त अपने पत्र और याचिकाएँ प्रस्तुत करते हैं, जिन्हें देवता द्वारा सुना और निपटारा किया जाता है।
इसी प्रकार का एक मामला उत्तराखंड से सामने आया है, जहां डीएलएड प्रशिक्षुओं ने गोल्ज्यू देवता के प्रति आभार व्यक्त करते हुए घंटा चढ़ाया है। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि आस्था और न्याय एक साथ कैसे विजय प्राप्त कर सकते हैं। गोल्ज्यू देवता, जिन्हें न्याय का देवता माना जाता है, उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में गहरी श्रद्धा के साथ पूजे जाते हैं। यह देवता अपने भक्तों की समस्याओं का समाधान और उन्हें न्याय दिलाने के लिए प्रसिद्ध हैं।
इस परिप्रेक्ष्य में, डीएलएड प्रशिक्षुओं द्वारा उच्च न्यायालय उत्तराखंड में दायर विशेष अपील पर प्राप्त अंतरिम निर्णयादेश एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है। इस आदेश के तहत, राज्य के समस्त डायटों में प्रशिक्षणरत द्विवर्षीय डीएलएड प्रशिक्षुओं को 20-07-2024 तक विज्ञप्ति में आवेदन करने का अवसर प्रदान किया गया है, जिससे वे भर्ती प्रक्रिया में सम्मिलित हो सकें। यह आदेश उन प्रशिक्षुओं के लिए न्याय की विजय के समान है, जिन्होंने लंबी प्रतीक्षा के बाद अपना हक प्राप्त किया है।
डीएलएड प्रशिक्षुओं का गोल्ज्यू देवता के प्रति आभार व्यक्त करना यह दर्शाता है कि हमारे समाज में आस्था और न्याय का अटूट संबंध है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि न्यायपालिका और आस्था, दोनों ही, हमारे समाज के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं और समाज के विकास और विश्वास को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
इस अवसर पर प्रतीक्षारत डायट प्रशिक्षुओं ने कहा कि, “हम न्यायपालिका के प्रति भी आभार व्यक्त करना चाहते हैं, जिन्होंने डीएलएड प्रशिक्षुओं के हक की रक्षा की और उन्हें न्याय दिलाया। यह निर्णय केवल कानूनी विजय नहीं है, बल्कि यह समाज में न्याय की स्थापना और विश्वास की पुनर्स्थापना का प्रतीक भी है।”
अंततः, यह घटना यह साबित करती है कि जब आस्था और न्याय का साथ मिलता है, तो कोई भी बाधा असाध्य नहीं होती। गोल्ज्यू देवता के प्रति श्रद्धा और न्याय की विजय ने हमारे समाज को एक नई दिशा और उम्मीद दी है।
Report by Uttam Singh