Isha Ambani : हाल ही में एक इंटरव्यू में, ईशा अंबानी ने अपने जुड़वा बच्चों के आईवीएफ से होने की बात साझा की। उन्होंने बताया कि अपनी पर्सनल लाइफ के इस पहलू को बताकर वो आईवीएफ को सामान्य बनाने की कोशिश कर रही हैं। ईशा ने कहा, “मैं उम्मीद करती हूं कि लोग आईवीएफ के बारे में खुलकर बात करेंगे और इसे टैबू नहीं बनाएंगे। किसी को भी शर्मिंदा या अकेला महसूस नहीं होना चाहिए। यह एक मुश्किल प्रक्रिया है और इसके दौरान आप शारीरिक रूप से काफी थकान महसूस करते हैं।”
ईशा की बातों से यह स्पष्ट है कि वो मानती हैं कि आईवीएफ को लेकर लोगों के मन में अब भी कुछ पूर्वाग्रह हैं। कई लोग आईवीएफ बेबीज को अलग नजर से देखते हैं, जो सही नहीं है। टीवी अभिनेत्री देबीना बनर्जी ने भी अपनी बड़ी बेटी के आईवीएफ से होने की बात कही थी और इस प्रक्रिया के प्रति लोगों के नकारात्मक नजरिए को लेकर अपने विचार साझा किए थे।
आईवीएफ की प्रक्रिया और थकान
फर्टिलिटी एकेडमी के अनुसार, आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान थकान एक आम दुष्प्रभाव है। आईवीएफ या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन एक प्रजनन प्रक्रिया है जिसमें अंडाणु और शुक्राणु को लैब में फर्टिलाइज कर के वापस यूट्रस में इंप्लांट किया जाता है। इस प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में महिलाओं को अत्यधिक थकान का अनुभव होता है।
थकान के कारण
1. फर्टिलिटी दवाएं: प्रारंभिक चरण में इस्तेमाल की जाने वाली फर्टिलिटी दवाओं के कारण ओव्यूलेशन को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे थकान होती है।
2. प्रोजेस्ट्रोन का बढ़ना: आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान प्रोजेस्ट्रोन का स्तर बढ़ाने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है ताकि भ्रूण गर्भाशय की परत से जुड़ सके। इस बढ़े हुए प्रोजेस्ट्रोन स्तर के कारण भी थकान महसूस होती है।
ईशा अंबानी का संदेश
ईशा अंबानी का यह खुलासा एक सकारात्मक कदम है जिससे आईवीएफ को सामान्य बनाने में मदद मिलेगी। उनका मानना है कि लोग आईवीएफ के बारे में खुलकर बात करेंगे और इसे सामान्य समझेंगे। आईवीएफ जैसी प्रक्रियाएं एक व्यक्तिगत और मुश्किल यात्रा होती हैं, जिसे किसी भी पूर्वाग्रह के बिना स्वीकार किया जाना चाहिए।