धाद संस्था के तत्वावधान में सतपुली में पहाड़ों में फल उत्पादन और बाजार विषय पर एक दिवसीय गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि बागवानी के क्षेत्र में सेब, कीवी और अनार के उत्पादन से पहाड़ों की तस्वीर बदली जा सकती है।
विपणन की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए वक्ताओं ने कहा कि सभी प्रगतिशील काश्तकार एकजुट होकर बड़े बाजारों तक अपना उत्पाद पहुंचा सकते हैं। प्रगतिशील कास्तकारों एवं विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप हमें फलों का चयन कर बागवानी करनी चाहिए।
गोष्ठी में सेब उत्पादक काश्तकार सिरौली (पौड़ी) की डॉ सविता रावत, पोखड़ा के वीणा मल्ली गांव के रोहन बिष्ट, खिर्सू के अर्जुन सिंह पंवार और पाबौ के मरोड़ा गांव के पवन बिष्ट ने सेब उत्पादन के अपने अनुभव एवं चुनौतियों को साझा किया।
चारों सेब उत्पादक काश्तकारों को अन्यों के लिए प्रेरणा बताते हुए धाद के अध्यक्ष लोकेश नवानी ने अन्य काश्तकारों से पारंपरिक खेती का मोह छोड़कर सेब, कीवी और अनार जैसे अच्छे दाम वाले फलों की खेती की अपील की। चारों सेब उत्पादक काश्तकारों को स्मृति चिन्ह एवं शाल भेंट कर सम्मानित किया गया।
फलोत्पादन विशेषज्ञ राजेंद्र कुकशाल ने काश्तकारों को विस्तारपूर्वक बागवानी के गुर बताए। धाद संस्था के अध्यक्ष लोकेश नवानी की अध्यक्षता में आयोजित गोष्ठी में जनपद के अनेक प्रगतिशील काश्तकारों में प्रतिभाग किया।
गोष्ठी में पौड़ी, खिर्सू, और पाबौ में काश्तकारों द्वारा उगाए जा रहे सेब गाला और डिलीशियस और अन्य काश्तकारों के उत्पादों के स्टाल भी लगाए गए।
इस मौके पर फील गुड के संस्थापक सुशील सुंदरियाल, हरेला गाँव हरीश डोबरियाल, देवेंद्र नेगी, किशन सिंह पंवार, गौरव धस्माना, तन्मय ममगाईं, उत्तम सिंह रावत आदि मौजूद थे।