Revealed : इंटर कॉलेज के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को बना दिया मनरेगा का मजदूर

प्रधान के किये गए कार्यों को देखकर आप दंग रह जायेंगे|

मामला यदि पहाड़ों का हो तो आये दिन लोग सोशल मीडिया पर विकास की पहली सीड़ी ग्राम प्रधानो पर आरटीआई के माध्यम से उंगलियां उठाते रहते है |

परन्तु फिर भी प्रधान लोग बाज नहीं आते, इसमें उनके सह भागीदार ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सहित MB बनाने वाले जेई की अहम भूमिका होती है, याने कि ज़ब प्रधान जी कद्दू काटते है तो इन सभी मे बांटते है |

मामला जनपद पौड़ी गढ़वाल,पोखड़ा ब्लॉक के ग्राम सभा घंडियाल का है, जहा पर ग्राम प्रधान संदीप कंडारी द्वारा ऐसे ऐसे ढंग से कार्य किये गए है जिन्हे देखकर आप दंग रह जायेगे |

सूचना मांगे जाने पर चौकाने वालीं जानकारी

हम आपको प्रधान के कार्य बिंदुवार बता रहे है आरटीआई कार्यकर्ता पुष्पेंद्र गौनियाल ने ज़ब सूचना मांगी तो चौकाने वालीं जानकारी मिली जिसे उनके द्वारा हम को दी गई |

1- प्रधान ने इंटर कॉलेज कुंजखाल मे कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संदीप कुमार पुत्र नागेंद्र कुमार को मनरेगा का मजदूर बना दिया, जिनका जॉब कार्ड no- 004/109 मे 24 दिन मजदूरी दिखाकर 4824 रूपये का पेमेंट भी हो गया | तो क्या स्कूल कर्मचारी डबल रोल है जो एक ही समय मे दो जगह ड्यूटी करता है | इससे साफ लगता है कि कई अकाउंट ऐसे और भी होंगे जिसमे प्रधान जी काली कमाई डालते होंगे |

2- ऐसा ही नहीं प्रधान खुद भी मजदूर बनकर खूब मजदूरी डाकरते रहे सीसी पुस्ता निर्माण 29 दिन 5829, पेयजल टैक निर्माण 16 दिन 3216, सीसी रेलिंग 42 दिन 8742 रूपये ये तो छोटी सी मजदूरी है, जो प्रधान जी ने अपने स्वयं के खाते मे डाली है जबकि ग्राम प्रधान अपनी ध्याड़ी नहीं लगा सकता |

3-प्रधान जी द्वारा राज्य वित्त मे एक लाख पचपन हजार की लागत से स्ट्रीट लाइट लगवाई गई जिन्हे लगाने मे कोई मजदूर ही नहीं लगा और राशि पूरी साफ हो गई |

4- यही स्थित स्ट्रीट लाईटों की मरमत भी की गई जिसकी लागत एक लाख तीस हजार रूपये लगी इसमें भी कोई मजदूर नहीं लगा |

5- सेगरिगेशन के तहत लोहे का कूड़ादान जिसकी राशि 45 हजार रूपये दिखाई गई है जबकि इसका बाजार मूल्य मात्र 18 से 20 हजार रूपये है ये मामला घोटाले के रूप मे सोशल मिडिया पर चला था और ये ब्लॉक भी इस घोटाले मे लिप्त है |

6- स्वछ भारत स्वच्छ गांव बनाने के लिए डस्टविन बाँटे गए जो कि शायद प्लास्टिक की बालटियां है इनकी कीमत 124000 रूपये दिखाई गई है |

राज्य वित्त व केंद्र वित्त से 16 कार्य करवाए गए जिनमे लगभग 16 लाख से अधिक की राशि खर्च की गई, जबकि इनमे लगभग 474000 रूपये के कार्य मे कोई भी मजदूर नहीं था और शेष 1292455 रूपये की राशि मे पूरी ग्राम सभा मे केवल 13 मजदूरों को ही काम मिला, जिसमे प्रधान जी व उनकी धर्मपत्नी भी शामिल है इस मामले कि यदि जाँच हो तो बड़ी रिकवरी हो सकती है |

7- प्रधान द्वारा गांव मे सार्वजनिक शौचालय निर्माण करवाया गया जो कि एक साल मे बनकर तैयार हुआ इसमें पांच मजदूर थे जिन्होंने 153 दिन इसमें कार्य किया,यदि प्रधान जी को क़ुतुबमीनार बनाने का ठेका मिला होता तो अब तक निर्माण ही होता रहता |

8-यही पर एक कूड़ा दान बनवाया जिसे बनने मे 11 माह 10 दिन लग गए जबकि इसमें मात्र 3 मजदूर थे व 37 दिन मजदूरी थी|

9-यही पर एक पुस्ता बनवाया गया जिसे बनने मे 7 माह लग गए 4 मजदूरों ने 66 दिन कुल कार्य किया और 130000 रूपये लग गए |

10- पेयजल पाइप लाइन मरम्त मे 114000 रपये मे 6 मजदूर 186 दिन कार्य हुआ |

11- घंडियाल मे तीन मिलन लिखें हुए है जो कि 87000 मे बने है 5 माह 6 मजदूर 38 दिन कार्य हुआ मगर ये क्या है अभी स्पस्ट नहीं हो पाया है |

कुछ सवाल जो प्रश्न खड़े करते हैं

कुछ प्रश्न वीडिओ साहब के लिए है उनके जबाब हम जल्द ग्राउंड जीरो पर जाकर लेंगे | सूत्रों से पता चला है कि कई कार्य ऐसे है जो धरातल पर हुए ही नहीं है | याने कि उनकी धनराशि प्रधान जी व अधिकारीगण आपस मे लपेट गए |

प्रश्न -: क्या एक ही व्यक्ति के एक से ज्यादा जॉब कार्ड बन सकते है ?

एक जॉब कार्ड से तीन चार मजदूरों कि मजदूरी दी जा सकती है ?

भिन्न भिन्न प्रकार के पेंशन धारको को मनरेगा, राज्य वित्त मे कार्य दिया जा सकता है ?

सत्यपित सूचना मे जिन कार्यों मे मजदूर जीरो दिखाए गए है तो उन्हें मजदूरी जॉब कार्ड मे कैसे मिली है ऐसे कई लोग है ?

जिन कार्यों मे जितने मजदूर दिखाए गए है तो जॉब कार्ड मे उससे ज्यादा लोगो को मजदूरी कैसे दी गई है ?

सूचना मे शर्मिंको के नाम मे फेरबदल क्यों ?

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