विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके समाधान पर केंद्रित एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी और राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (एन.आई.ई.पी.वी.डी), देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में एन.आई.ई.पी.वी.डी के अष्टावक्र सभागार में किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य अभिभावकों को सशक्त बनाना और उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करना था ताकि वे अपने बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।
कार्यशाला का उद्घाटन एन.आई.ई.पी.वी.डी के निदेशक मनीष वर्मा, विशेष शिक्षा विभाग के सहायक आचार्य डॉ. विनोद केन, डॉ. पंकज कुमार और उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय विशेष शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सिद्धार्थ पोखरियाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। यह उद्घाटन समारोह इस बात का प्रतीक था कि समाज में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के प्रति संवेदनशीलता और समर्पण को बढ़ावा देने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
विशेषज्ञों ने चार सत्रों में अभिभावकों से सीधा संवाद किया और उन्हें विभिन्न मुद्दों और चुनौतियों पर मार्गदर्शन प्रदान किया। पहले सत्र में डॉ. मुरली सिंह ने भाषण संबंधी समस्याओं पर चर्चा की और उनके समाधान पर जोर दिया। द्वितीय सत्र में डॉ. विनोद केन ने दृष्टिबाधित बच्चों के अभिभावकों की समस्याओं पर प्रकाश डाला, जबकि तृतीय सत्र में प्रीति अरोड़ा ने ऑटिज्म प्रभावित बच्चों के अभिभावकों की चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया। चौथे सत्र में डॉ. पंकज कुमार ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए सहायक उपकरणों के महत्व पर जानकारी दी।
खुला सत्र एक महत्वपूर्ण मंच था जहां विशेषज्ञ स्मृति लोशाली और नीरजा बिष्ट ने छात्र-छात्राओं, प्रतिभागियों और अभिभावकों से सीधा संवाद किया। इस सत्र ने अभिभावकों को अपने अनुभव साझा करने और विशेषज्ञों से व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया।
इस कार्यशाला के समापन पर डॉ. सिद्धार्थ पोखरियाल ने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया और विश्वविद्यालय के विशेष शिक्षा कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने विशेष शिक्षा के क्षेत्र में और भी ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता पर जोर दिया, जो अभिभावकों को अधिक सक्षम बना सकें।
वक्ताओं ने कहा कि यह कार्यशाला एक महत्वपूर्ण पहल है जो विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के अभिभावकों को सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम है। ऐसी कार्यशालाएं न केवल अभिभावकों को आवश्यक ज्ञान और उपकरण प्रदान करती हैं, बल्कि उन्हें एक सामुदायिक समर्थन भी प्रदान करती हैं जिससे वे एक-दूसरे के अनुभवों से सीख सकें।
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का सर्वांगीण विकास तभी संभव है जब उनके अभिभावकों को सही मार्गदर्शन और समर्थन प्राप्त हो। उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय और एन.आई.ई.पी.वी.डी द्वारा आयोजित इस कार्यशाला ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जो सराहनीय है। इस अवसर पर तरुण नेगी, डॉ सुभाष रमोला, डॉ भावना डोभाल सहित कई प्रतिभागी मौजूद थे।