एक महत्वपूर्ण फैसले में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय(Supreme Court) ने आदेश दिया है कि 1563 छात्रों के लिए NEET (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) फिर से आयोजित की जाए, जिन्हें पहले ग्रेस अंक दिए गए थे। यह निर्णय राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) से जुड़ी एक याचिका और उसके बाद की सुनवाई के जवाब में आया है और परीक्षा प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
पृष्ठभूमि और सुनवाई।
सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने आज NEET परीक्षा से जुड़ी दूसरी याचिका पर सुनवाई की, जिसमें NTA ने भी कार्यवाही में हिस्सा लिया। NTA ने प्रभावित छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित करने के अपने फैसले से कोर्ट को अवगत कराया, ताकि उन्हें शुरू में बताए गए ग्रेस मार्क्स मिलें। इस मामले की अध्यक्षता जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने की।
मुख्य निर्णय।
पुनः परीक्षा निर्धारित: एनटीए ने घोषणा की है कि 23 जून को पुनः परीक्षा आयोजित की जाएगी, खास तौर पर उन 1563 छात्रों के लिए जिन्हें पहले ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। इस कदम का उद्देश्य इन छात्रों की चिंताओं को दूर करना और परीक्षा की विश्वसनीयता को बनाए रखना है।
स्कोरकार्ड रद्द करना: समिति ने सिफारिश की, और अदालत ने सहमति व्यक्त की, कि इन 1563 छात्रों को जारी किए गए स्कोरकार्ड रद्द कर दिए जाएंगे। इन छात्रों को फिर से परीक्षा देनी होगी, और जो नहीं देंगे, उनके परिणाम बिना किसी ग्रेस मार्क्स के वास्तविक अंकों के आधार पर दिए जाएंगे।
काउंसलिंग जारी रहेगी: दोबारा परीक्षा की आवश्यकता के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने NEET की काउंसलिंग प्रक्रिया को रोकने से इनकार कर दिया। इससे यह सुनिश्चित होता है कि प्रवेश के लिए समग्र समयसीमा अप्रभावित रहेगी। दोबारा परीक्षा के परिणाम 30 जून से पहले घोषित होने की उम्मीद है, जिससे काउंसलिंग 6 जुलाई को निर्धारित समय पर शुरू हो सकेगी।
सरकार और एनटीए का रुख।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और एनटीए ने अपनी दलीलें पेश कीं। सरकार ने कोर्ट को 10, 11 और 12 जून को हुई बैठकों के बारे में बताया, जिसमें यह निर्णय लिया गया था कि 1563 उम्मीदवारों के अंक रद्द कर दिए जाएंगे। छात्रों की समस्याओं को दूर करने और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए यह एक निवारक उपाय था।
एनटीए ने अदालत को आश्वासन दिया कि दोबारा परीक्षा कुशलतापूर्वक आयोजित की जाएगी और परिणाम तुरंत घोषित किए जाएंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दोबारा परीक्षा केवल उन लोगों को प्रभावित करेगी जिन्हें शुरू में ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, जिससे समस्या अलग हो जाएगी और व्यापक व्यवधान को रोका जा सकेगा।
न्यायालय के निर्देश।
न्यायमूर्ति की टिप्पणी: न्यायमूर्ति मेहता ने इस बात पर जोर दिया कि एनटीए बिना उचित प्रक्रिया के परिणाम रद्द नहीं कर सकता, इसके लिए पुनर्परीक्षा के लिए नए खंड तैयार करने की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति नाथ ने काउंसलिंग शुरू करने की समयसीमा के बारे में पूछताछ की, यह सुनिश्चित करते हुए कि पुनर्परीक्षा प्रक्रिया में अनावश्यक देरी न हो।
समस्या वाले केंद्र: न्यायालय ने उन केंद्रों के बारे में भी जानकारी मांगी जहां समस्याएँ हुई थीं। एनटीए ने छह केंद्रों पर समस्याओं की सूचना दी, जिसके कारण प्रभावित छात्रों के विशिष्ट समूह के लिए परीक्षा फिर से आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
अंतिम निर्णय।
अपने अंतिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने भारत संघ की ओर से कनु अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत की गई सिफारिशों को रेखांकित किया। यह निर्णय लिया गया कि 1563 उम्मीदवारों के स्कोरकार्ड रद्द कर दिए जाएंगे, बिना ग्रेस के वास्तविक अंक घोषित किए जाएंगे और 23 जून को फिर से परीक्षा होगी, जिसके परिणाम 30 जून तक घोषित किए जाएंगे। इससे यह सुनिश्चित होता है कि 6 जुलाई से शुरू होने वाली काउंसलिंग प्रक्रिया तय समय पर ही चलेगी।
एनटीए का प्रतिनिधित्व करने वाले नरेश कौशिक ने पुष्टि की कि सभी हितधारकों को सूचित रखने के लिए पुन: परीक्षा के संबंध में अधिसूचना तुरंत जारी की जाएगी।
निष्कर्ष।
सर्वोच्च न्यायालय(Supreme Court) का निर्णय 1563 NEET उम्मीदवारों की चिंताओं को संबोधित करने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिन्हें अनुग्रह अंक प्राप्त हुए थे, जबकि यह सुनिश्चित किया गया कि परीक्षा और उसके बाद की काउंसलिंग प्रक्रिया पटरी पर रहे। इस फैसले का उद्देश्य NEET परीक्षा की निष्पक्षता और अखंडता को बनाए रखना है, जिससे प्रभावित छात्रों को निष्पक्ष परिस्थितियों में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने का एक स्पष्ट मार्ग मिल सके।