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🚩जय माँ भुवनेश्वरी🚩
गणेश चतुर्थी दिनांक 7 सितंबर 2024 शनिवार
श्री गणेश चतुर्थी पर्व 7 सितंबर को मनाया जाएगा। प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश को विद्या, बुद्धि देवता, विघ्न हर्ता, मंगलकारी, रक्षा कारक, सिद्धि दायक, समृद्धि, शक्ति और सम्मान देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी पर्व का विशेष महत्व है। 10 दिनों तक चलने वाले विशेष पर्व के दौरान बप्पा अपने भक्तों के घरों में विराजते हैं। गणेशोत्सव भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी से शुरू होता है और अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन के साथ इस विशेष पर्व का समापन होता है।
इस वर्ष 7 सितंबर 2024 से गणेशोत्सव का आरंभ होगा तथा 17 सितंबर 2024 अनंत चतुर्दशी को भगवान गणेशजी की मूर्ति का विधि पूर्वक विसर्जन किया जाएगा।
इस वर्ष गणेश महोत्सव पर कुछ विशेष योग बनने जा रहे हैं–सर्वार्थ सिद्धि योग, ब्रह्म योग, शुभ योग तथा स्वाति नक्षत्र होने से श्री सिद्धिविनायक चतुर्थी और भी विशेष फल प्रदान करेगी।
शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारंभ होगी 6 सितंबर 2024 अपराह्न 3:03 से 7 सितंबर 2024 दिन शनिवार सायंकाल 5:39 तक।
अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:53 से 12:43 तक।
गणेश पूजा (स्थापना) शुभ मुहूर्त प्रारंभ होगा प्रातः 11:10 से अपराह्न 01:39 तक।
पूजा विधि व भोग
अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च।
श्री गणपते त्वम सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम।।
ब्रह्म मुहूर्त में जागकर व नित्य कर्म निवृत्त होकर स्नानादि करने के उपरांत लाल वस्त्र धारण करें। मंदिर को गंगाजल से पवित्र कीजिए। भगवान गणपति का स्मरण करें। कलश में जल भरें और इसमें सुपारी डालकर कलश को कपड़े से बांध दें।
इसके बाद एक चौकी स्थापित करें और उस पर लाल वस्त्र बिछा दें। (केवल मिट्टी से बने हुए भगवान श्री गणेश को स्थापित करें) |
स्थापना करने से पहले भगवान गणेश को पंचामृत से स्नान कराएं। फिर गंगा जल से भगवान गणेश की मूर्ति को स्नान कराकर चौकी पर स्थापित करें। भगवान गणेश के साथ चौकी पर दो सुपारी (रिद्धि और सिद्धि माता के रूप में) स्थापित करें।
स्थापना के बाद अखंड ज्योति जलाएं। भगवान गणेश को रोली, कुमकुम, अक्षत, पुष्प अर्पित करें। फल, फूल, आदि अर्पित करें और फूल से जल अर्पित करें। भगवान गणेश को 108 दूर्वा अवश्य अर्पित करें। गजानन महाराज को चांदी के वर्क लगायें। उसके उपरांत पूजा में लाल रंग के फूल, जनेऊ, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, और भोग अर्पित करें। 21 मोदक का भोग लगाएं, लड्डू चढ़ाये।
घी के दीपक से आरती करें। भगवान गणेश के मंत्रों का जप करें।
1- ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।
2- गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:।।
3- ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।।
4- ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।।
आप सभी को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं।
आचार्य नागेंद्र मोहन सैलवाल।
पुजारी
आदिशक्ति माँ भुवनेश्वरी मंदिर सांगुड़ा बिलखेत बांघाट पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड।