रिखणीखाल प्रखंड के ग्राम नावेतल्ली में स्थित प्राकृतिक जल स्रोतों का जल संरक्षण, संवर्द्धन व पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।
रिखणीखाल के सीमांत व दुर्गम गाँव नावेतल्ली का महरकोट नामक प्राकृतिक जल स्रोत उचित जल संरक्षण, संवर्द्धन, रखरखाव व पुनर्जीवित न करने के अभाव में दम तोड़ रहा है,व सूखने के कगार पर है।यह जल स्रोत पत्थरों के बीच से निकल कर अपनी 1-5 किलोमीटर की दूरी तय कर इस भीष्ण गर्मी में भी गाँव के 150 लोगों को जलापूर्ति कर गाँव के मानव जाति,मवेशी,छोटी मोटी सब्जियों को उगाकर गाँव की प्यास बुझाने कामयाब हो रहा है।ये जल स्रोत लगभग 1/2″ पानी की धार को हर मौसम में आपूर्ति करता है।
गाँव वालों की मांग व इच्छा है कि इस प्राकृतिक जल स्रोत का जीवन बरकरार रखने के लिए मनरेगा के माध्यम से वर्तमान व भविष्य के जल संकट के समाधान के लिए सूख रहे जल स्रोतों, नालों, तालाबों, व नौलों को पुनर्जीवित कर जीर्णोद्धार व सौन्दर्यीकरण किया जाये। जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल,हर घर जल तो मात्र एक सपना ही साबित होगा।इन प्राकृतिक जल स्रोतों के आसपास बांज, बुरांस, केले आदि के पेड़ लगाये जायें।
इस कडी में गाँव के पास धमधार नदी के किनारे एक प्राकृतिक जल स्रोत और है,जहाँ से सैकड़ों सालों से हमारे पूर्वज पेयजल की आपूर्ति पाते थे, लेकिन अभी विगत दो तीन साल से सड़क निर्माण होने से सड़क का पूरा मलवा,कटान,खुदाई से जल स्रोत जमींदोज होकर नष्ट हो गया है।इसका पानी जमीन से निकल कर 400 मीटर नीचे निकलता है।यदि सरकार की प्रबल इच्छाशक्ति हो तो इसे भी मनरेगा या अन्य आर्थिक स्रोतों से जल संरक्षण, संवर्द्धन कर नया जीवनदान दिया जा सकता है।यह गाँव के पास ही आधा किलोमीटर दूरी पर धमधार नदी के तट पर स्थित है।
आज इसी परिप्रेक्ष्य में गाँव के कुछ जागरूक युवा जो बाहरी प्रदेशों, शहरों से घर आये हैं, वे इस महरकोट नामक प्राकृतिक जल स्रोत का साफ सफाई, व गन्दगी को हटाकर पेयजल आपूर्ति को गति दे रहे हैं। काफी समय से गांव की टंकी में कम मात्रा में पानी आ रहा है।नलों के बीच मिट्टी, पत्थर व कायी हटाने का कार्य कर रहे हैं।
सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट हर घर नल,हर घर जल का कार्य भी कछुआ गति से चल रहा है।जो कि थवाडा-चैबाडा पेयजल पंपिंग योजना से चलेगी।ये भी न जाने कब तक पूरा होगा।
जनपद गढ़वाल के जिलाधिकारी,मुख्य विकास अधिकारी,खंड विकास अधिकारी रिखणीखाल व जल संरक्षण से सम्बन्धित विभाग से इन प्राकृतिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित, जीर्णोद्धार व सौन्दर्यीकरण की उम्मीद करते हैं कि वे सहयोग व मार्गदर्शन करेगें।