प्रत्येक वर्ष आयोजित की जाने वाली परगना नंदाक बधाण की पौराणिक मां नंदा देवी राजराजेश्वरी लोकजात यात्रा आज प्रातः सूना गांव से पूजा अर्चना के उपरांत थराली गांव,कोटडीप, थराली मुख्य बाजार, केदारबगड़, राड़ीबगड़ होते हुए रात्रि पड़ाव के लिए चेपड्यो गांव पहुंच गई है।
मां नंदा की विग्रह डोली का थराली में भव्य रूप से स्वागत किया गया, थराली मुख्य बाजार में स्थानीय लोगों ने नंदा भक्तों पर पुष्प वर्षा की तथा जगह-जगह पर भंडारे और जलपान इत्यादि का आयोजन भी किया गया, इस अवसर पर रामलीला मैदान थराली में देवी भक्तों के द्वारा चाचड़ी नृत्य कर मां नंदा की विग्रह डोली का भव्य स्वागत किया गया,लोकजात यात्रा में सैंकड़ों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी,मां नंदा की जय के जयकारों के साथ नंदा लोकजात यात्रा आज रात रात्रि पड़ाव हेतु चेपड्यो पहुंच गई हैं।
नंदा लोकजात यात्रा इस वर्ष 23 अगस्त को मां नंदा देवी राजराजेश्वरी के मायके सिद्धपीठ कुरुड़ से शुरू हुई जो विभिन्न पड़ावों से होते हुए 17 सितम्बर को मां नंदा देवी राजराजेश्वरी के ननिहाल सिद्धपीठ देवराड़ा में समापन होगी और मां नंदा देवी की विग्रह डोली 6 माह के लिए सिद्धपीठ देवराड़ा में विराजमान रहेगी।
नंदा लोकजात यात्रा के बारे में पौराणिक मान्यता हैं कि इसमें मां नंदा देवी राजराजेश्वरी के मायके सिद्धपीठ कुरुड़ से लेकर मां नंदा देवी के ससुराल और ननिहाल तक की यात्रा का वृत्तांत हैं, जिसमें भक्तजन मां नंदा के स्वागत में गीत, पूजा- अर्चना और भेंट लगाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
नंदा लोकजात यात्रा प्रत्येक वर्ष आयोजित की जाती हैं, जबकि नंदा राजजात यात्रा जब चौंसिग्या खांडू (चार सिंगों वाला बकरी का बच्चा) पैदा होता है, तो 12 वर्षों में एक बार ही आयोजित की जाती है।
चमोली/पुष्कर सिंह नेगी