Zinka Virus मामलों की चेतावनी : केंद्र ने राज्यों के लिए जारी की एडवाइजरी, महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मामले

 Zinka Virus मामलों की चेतावनी: केंद्र ने राज्यों के लिए जारी की एडवाइजरी, महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मामले

Zinka Virus : भारत में जीका वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सतर्क किया है। महाराष्ट्र में हाल ही में जीका वायरस के कई मामले सामने आए हैं, जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में सभी राज्यों से निगरानी बढ़ाने और विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग करने की सलाह दी गई है।

Zinka Virus एडवाइजरी के मुख्य बिंदु

केंद्र ने अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे अपने परिसर को एडीज मच्छरों से मुक्त रखें। इसके अलावा, निगरानी के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने और रेसिडेंशियल एरिया, ऑफिस, स्कूल, कंस्ट्रक्शन साइट और इंस्टीट्यूशन में वेक्टर कंट्रोल एक्टिविटीज करने के निर्देश दिए गए हैं। 

महाराष्ट्र में जीका वायरस के मामले

महाराष्ट्र में 2 जुलाई तक जीका वायरस के आठ मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से छह मामले पुणे और एक-एक मामले कोल्हापुर और संगमनेर से हैं। जीका परीक्षण की सुविधाएं पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, दिल्ली के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद प्रयोगशालाओं में उपलब्ध हैं।

गर्भवती महिलाओं के लिए खतरा

जीका वायरस एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह वायरस गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से खतरनाक है क्योंकि इससे प्रभावित महिलाओं के होने वाले शिशु का दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता और सिर का आकार सामान्य से छोटा होता है।

जीका वायरस के लक्षण

जीका वायरस के संक्रमण के लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, जोड़ों में दर्द और शरीर पर लाल चकत्ते शामिल हैं। यह लक्षण आमतौर पर तेज बुखार के साथ शुरू होते हैं और धीरे-धीरे अन्य लक्षण नजर आने लगते हैं।

केंद्र सरकार की इस एडवाइजरी का उद्देश्य राज्यों को जीका वायरस के खतरे से निपटने के लिए तैयार करना है। उचित निगरानी और वेक्टर कंट्रोल एक्टिविटीज के माध्यम से इस वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है। गर्भवती महिलाओं की विशेष देखभाल और स्क्रीनिंग इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। 

इस जानकारी का पालन करते हुए, राज्य और स्थानीय स्वास्थ्य विभागों को इस वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और इससे जुड़े जोखिमों को कम किया जा सकेगा।

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