जब आप पहली बार बर्फीले क्षेत्रों में जाते हैं, चाहे वह केदारनाथ हो, मनाली हो, लेह हो या दार्जिलिंग हो, उसका उत्साह अलग होता है। आप पहली बार बर्फ के पहाड़ देखने की उम्मीद करते हैं। आपने सपने देखे हैं कि पहाड़ों पर जाकर बर्फ के पास पहुंचते ही हम बर्फ के हाथ गोले बनाकर खेलेंगे, सुंदर फोटो लेंगे, टेंट लगाकर रात को आसमान को देखेंगे, कैम्पफ़ायर में गाना बजाना आदि करेंगे ।
लेकिन वास्तव में जब आप इन स्थानों पर पहली बार जाते हैं तो आपको कई दिक्कतों का सामना करना पद सकता है इससे यह जाहिर होता है की यात्रा के लिए आपके द्वारा कुछ तैयारियों की कमी रह गई है, जिससे ट्रिप मुश्किल हो जाती है क्योंकि आपको पता नहीं चलता कि यात्रा के साथ क्या क्या तैयारियां करनी चाहिए।
इसकी कमी से आप या तो मौसम बदलने से बीमार हो जाते हैं या पहाड़ों पर चढ़ते समय सांस फूल जाती है और पैर दर्द होता है। फिर अगर बारिश आती है तो आपकी यात्रा इतनी बिगड़ जाती है कि आप एक बुरी यादें लेकर आ जाते हैं जिससे आप वापस उस स्थान पर जाने के नाम से ही डर लगाने लगता है क्योंकि उसको याद करते ही आपने जो तकलीफ का सामना किया है वह याद आता है |
तो चलिए शुरू करते हैं यात्रा के दौरान हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे हमारा सफर आसान हो सके |
पैदल चलने की प्रैक्टिस
अगर आप पहाड़ी इलाके में जा रहे हैं तो यह मान के चलिए की आपको पैदल तो चलना ही होगा | अगर आपने पहले पैदल चलने की प्रैक्टिस नहीं की है तो कर लेना चाहिए, अगर आप नहीं करते हैं तो आपको पैर में दर्द या खिंचाव के साथ साथ अकडन हो सकती है | जिससे आपका घूमने का एक्सपीरियंस खराब हो सकता है |
आपको पहाड़ों में हमेशा पैदल चलते समय जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए और क़दमों को धीरे धीरे आगे बढाते रहना होगा | यहाँ पर यह ध्यान भी रखना होगा की पहाड़ों में चलते समय यदि आप चलने को लेकर अपनी यात्रा में कोई टारगेट सेट नहीं करते हैं तो फिर आपको नियत स्थान तक जाने के लिए कई टारगेट बनाकर चलना होगा जिससे यात्रा सुगम हो और आनंदमयी लगे |
ऊंचाई पर जाते समय रखें ध्यान, अधिक ऊंचाई से होने वाली दिक्कतें
ऊचाई पर जाते समय, अपने शरीर के संकेतों का ध्यान रखें, और यदि आपको अन्यथा जोखिम का अनुभव हो, या ज्यादा सांस फूल रही हो, पेट में ऐंठन, शारीर दुखना, या जी मिचलाना जैंसे संकेत मिले तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें या फिर ऊचाई पर जाने से बचें |
ऊंचाई वाले इलाकों में यात्रा के दौरान फेफड़े और मस्तिष्क संबंधी परेशानियां अधिक होती हैं। सबसे आम सिंड्रोम एक्यूट माउंटेन सिकनेस है, जो आमतौर पर चढ़ाई के कुछ घंटों के भीतर शुरू होता है। इसमें सिरदर्द के साथ भूख नहीं लगना, मिचली, उल्टी, नींद में खलल, थकान और चक्कर आना प्रमुख लक्षण हैं।
अधिक ऊंचाई पर ऑक्सीजन कम होने से हाइपोक्सिया हो सकता है। पहाड़ों पर कम तापमान में नदी के ठंडे पानी में स्नान करने से बचना चाहिए। इससे हाइपोथर्मिया हो सकता है, जिससे कंपकंपी, धीमी आवाज, धीमी सांस और भ्रम की स्थिति हो सकती है। हाइपोथर्मिया से दिल का दौरा पड़ने, श्वसन प्रणाली की विफलता, यहां तक कि मृत्यु का भी खतरा हो सकता है।
एक छोटा खाली बैग ले जाना
आपको हमेशा अपने साथ एक छोटा खाली बैग ले जाना चाहिए क्योंकि आप बड़े बैग को होटल में रखोगे, लेकिन छोटे बैग (बैगपैक) में एक जोड़ी अतिरिक्त कपड़े, मेडिसिन और रेनकोट, पानी की बोटल डालकर दिन भर उसके साथ रहेंगे। ताकि कहीं बारिश होने पर यदि आप भीग जाते हो तो जो अपने साथ एक्स्ट्रा कपड़े लाये हैं उसे पहन सकते हो और बीमार होने से बच सकते हो |
एक्स्ट्रा सामान लेकर जाना और फर्स्ट एड किट
पहाड़ी यात्रा करते समय आपको हमेशा एक्स्ट्रा मौजे, गर्म कपड़े, मफलर, फर्स्ट एड किट, टोर्च, डायरी-पेन, कैश रकम, छोटी कैंची, बिस्किट, नमकीन, चॉकलेट्स, रेनकोट, सनग्लास, रस्सी, सुई धागा, सिक्के, प्रिंटेड टिकटें और एक अच्छी बोतल गर्म पानी ले जाना चाहिए। समस्या आने पर आपका काम जरूर आएगा |
मौसम की जांच: यात्रा के समय अपडेटेड मौसम की जांच करें
यदि आप पहाड़ों वाले स्थान पर घूमने का सोच रहे हो तो आपको वहां के मौसम की जानकारी होनी चाहिए कि वहां पर मौसम किस तरीके का चल रहा है | यदि आप खराब मौसम में वहां पर घूमने के लिए जाते हो तो जो चीज आपने सोचा है कि वहां जाकर हम पहाड़ों का आनंद लेंगे तो वह समस्या में भी बदल सकता है तो इसलिए हमेशा मौसम की जानकारी को ध्यान में रखते हुए ही घूमने के लिए जाए |
आरामदायक और मजबूत जूते पहने
नए जूते पहनकर यात्रा पर ना निकले उससे पहले अपने घर पर ही पहने कर देखें कि वह आरामदायक है और मजबूत है कि नहीं | जूते हमेशा बढ़िया कंपनी के होने चाहिए और मजबूत होने चाहिए यदि ऐसा नहीं है तो पहाड़ों पर चढ़ाई करते वक्त आपके पैरों को तकलीफ हो सकती है कहीं चोट लगने पर आपके पैर की ऊँगली को भी चोट लग सकता है |
सबसे जरूरी बात पहाड़ों में खासकर अधिक ठन्डे या बर्फीले इलाकों में जाने के लिए उसी प्रकार से जूते और मौजे होने चाहिए | जिससे ठण्ड से बचा जा सके |
लोकल लोगों से जानकारी जुटाएं और संपर्क बनाकर रखें
हमेशा पहाड़ी या ऊंचाई वाले इलाकों में घूमने जाते समय यदि आपके कोई जानकर पहाड़ी इलाके के रहने वाले हैं तो उनसे सम्पर्क रखें और जानकारी लेलें और यदि कोई भी आपकी जानकारी में ऐंसा व्यक्ति नहीं है रो जब भी पहाड़ी इलाके में घूमने जाएँ तो वहां के स्थानीय निवासियों से जरुर संपर्क रखें और समय समय पर जिस भी स्थान पर जा रहे हैं उनसे वार्ता कर मेलजोल बढ़ाकर रखें | क्योकि आपकी साथ कभी भी कोई भी घटना होती है तो तुरंत आपके नजदीक के लोग ही आपके काम आ सकते हैं या आपकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को दे सकते हैं |
बढ़िया कंपनी का ट्रैकबैग ले
ट्रैकबैग बढ़िया कंपनी का ले क्योंकि उसे आपको बहुत समय तक अपनी पीठ पर रखना होगा यदि वह आरामदायक नहीं है तो आपकी बैकपेन हो सकता है |
संचार की सुविधा
कई पहाड़ी इलाकों में संचार की सुविधा नहीं होती है, तो आपको यह देखना होगा कि संचार की सुविधा कहां पर उपलब्ध है और वहां जाकर अपने परिवार को अपने बारे में जानकारी कि हम सही सलामत पहुंच चुके हैं |
और दूसरा महत्वपूर्ण बात ध्यान में रखना चाहिए कि यदि आप ग्रुप में घूमने गए हो तो सभी लोगों का ध्यान रखें और साथ में ही रह कर घूमना चाहिए , यदि कोई व्यक्ति खो जाता है तो आपका सफर बहुत बुरी तरह से खराब हो सकता है |
हमेशा लाइव लोकेशन का प्रयोग करें जिससे आपकी लास्ट लोकेशन की जानकारी भी मिल सके और समय समय पर सभी साथियों के साथ संपर्क बना कर रखें |
एक दिन एक्स्ट्रा प्लान करके चले
यात्रा प्लानिंग में हमेशा एक दिन एक्स्ट्रा प्लान करके चले यदि कोई स्थान घूमने से रह जाता है तो उसे स्थान को हम अगले एक्स्ट्रा दिन में घूम सकते हैं |
ऊंचाई वाले स्थानों में जाने से इन्हें बचना होगा
- दिल के मरीजों को 4,000 मीटर से अधिक ऊंचाई की यात्रा से बचना चाहिए।
- दिल की बीमारी वाले यात्रा से पहले डॉक्टर से अवश्य परामर्श करें, आवश्यक दवाएं जरूर साथ ले जाएं।
- कोरोनरी धमनी रोग के ज्ञात मामले वाले लोगों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने से बचना चाहिए।
- अस्थमा के रोगियों को ज्यादा ऊंचाई वाले स्थानों पर जाने से बचना चाहिए |
- अस्थमा के रोगी आश्वस्त हो लें कि अस्थमा नियंत्रण में है, तभी ज्यादा ऊंचाई की यात्रा कर सकते हैं |
- ऊनी कपड़ा, ऊनी दुपट्टा और फेस मास्क अवश्य पहनें।
- गर्म पेय से हाइड्रेटेड रहें।
- अस्थमा की दवा हमेशा अपने पास रखें।
अचानक बारिश या बर्फबारी होने पर क्या करें
- अचानक बारिश या बर्फबारी होने पर हाइपोथर्मिया का कारण बन सकती है।
- भीगने से बचें या ज्यादा समय तक बर्फ में न रहें |
- बर्फ में खेलने से परहेज करें और अत्यधिक ठंड से खुद को बचाएं।
- ऊनी कपड़े और जैकेट पहनें।
- येंसा कोई कार्य न करें जिससे पसीना हो |
- गर्म पानी पीकर खुद को हाइड्रेटेड रखें।
साथ ही पहाड़ों में यात्रा करते समय बारिश के कारण सडक बंद होना, अचानक बोल्डर और मलबा गिरना, ठण्ड बढ़ना, पहाड़ी का दरकना, बादल फटना जैंसी घटनाये होती हैं जिनको लेकर सचेत रहें |
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